Food Poisoning Symptoms: फूड पॉइजनिंग के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

फूड पॉइजनिंग गंभीर समस्या नहीं है और ज्यादातर मामलों में आप घरेलू उपाय द्वारा इसका इलाज कर सकते हैं। हालांकि, समय रहते इसका ठीक से इलाज ना कराया जाए तो यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। गर्मी और बरसात के दिनों में लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं। इसकी वजह से पेट दर्द, उल्टी, मतली जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको आहार विषाक्तता (फूड पॉइजनिंग) क्या है, फूड पॉइजनिंग के लक्षण (Food Poisoning Symptoms), कारण, बचाव सहित फूड पॉइजनिंग के घरेलू इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

अगर आप खुद को फूड पॉइजनिंग के खतरे से दूर रखना चाहते हैं तो यह लेख आपको पूरा पढ़ना चाहिए। तो चलिए अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं। 

Food Poisoning Symptoms in Hindi

विषाक्त भोजन (फूड पॉइजनिंग) क्या है? (Food poisoning meaning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग (Food poisoning in Hindi) जिसे हिंदी भाषा में आहार विषाक्तता कहा जाता है, भोजन से पैदा हुई एक बीमारी है जो दूषित भोजन खाने या पानी पीने से होती है। इस बीमारी के लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होते हैं और ज्यादातर लोग कुछ ही दिनों में घरेलू इलाज से ही ठीक हो जाते हैं। फूड पॉइजनिंग के ज्यादातर मामलों में भोजन या पानी, बैक्टीरिया (Bacteria) द्वारा दूषित होता है, जिसमें साल्मोनेला (Salmonella) या एस्चेरिचिया कोलाई (Escherichia coli) प्रमुख हैं।

हालांकि कुछ मामलों में फूड पॉइजनिंग वायरस (Virus) द्वारा भी देखा गया है, जैसे हेपेटाइटिस A वायरस (Hepatitis A virus) और नोरोवायरस (Norovirus)। फूड पॉइजनिंग से आमतौर पर पेट में ऐंठन होती है। हालांकि, फूड पॉइजनिंग के सबसे आम लक्षणों में मतली (Nausea), उल्टी (Vomiting) और दस्त (Diarrhea) शामिल हैं।

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फूड पॉइजनिंग का कारण क्या है? (Causes of Food poisoning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग (आहार विषाक्तता) का कारण रोगाणुओं (Microbes) द्वारा भोज्य पदार्थों को दूषित करना है। अक्सर, लोगों को पशु-आधारित खाद्य (Animal-based food) पदार्थों – जैसे मांस, मुर्गी पालन, अंडे, डेयरी उत्पाद और समुद्री भोजन के सेवन से खाद्य विषाक्तता (Food poisoning in hindi) हो जाती है। परन्तु बिना धुले फल, सब्जियां और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थ भी कीटाणुओं द्वारा दूषित हो सकते हैं और लोगों को बीमार कर सकते हैं। यहां तक कि दूषित पानी भी फूड प्वाइजनिंग का कारण बन सकता है। ज्यादातर फूड पॉइजनिंग (विषाक्त भोजन) के लिए 3 मुख्य रोगाणु उत्तरदायी है जिसमें बैक्टीरिया (Bacteria), परजीवी (Parasites) और वायरस (Virus) शामिल हैं।

1. बैक्टीरिया द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by bacteria)

अधिकांश मामलों में बैक्टीरिया, फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं जिनमें निम्न प्रकार बैक्टीरिया शामिल हो सकते हैं 

a. साल्मोनेला (Salmonella)

भारत में साल्मोनेला फूड पॉइजनिंग का प्रमुख कारण है। ये बैक्टीरिया आमतौर पर जानवरों के मल (Feces) के संपर्क में आने पर खाद्य पदार्थों (Foodstuffs) में मिल जाते हैं। साल्मोनेला विषाक्तता (Salmonella Poisoning) का मुख्य कारण डेयरी उत्पाद और अधपका (Undercooked) मांस है जो अच्छी तरह से धोएं नहीं गए होते हैं

b. ई. कोलाई (E. coli)

ई. कोलाई जानवरों की आंतों में पाए जाने वाले एक प्रकार के बैक्टीरिया है। यह आमतौर पर जानवरों के मल के संपर्क में आने पर भोजन या पानी में मिल जाते हैं और उन्हें दूषित कर देते हैंभारत में लोगों को ई. कोलाई विषाक्तता (E. coli Poisoning) होने का सबसे आम कारण बिना पाश्चुरीकृत दूध (Unpasteurized milk/ Raw milk), स्प्राउट्स और अधपका बीफ  (Undercooked beef) का सेवन करना है।

c. लिस्टेरिया (Listeria)

ये बैक्टीरिया ज्यादातर अनपश्चुराइज्ड (Unpasteurized) डेयरी उत्पादों, सीफूड और प्रोसेस्ड मीट जैसे हॉट डॉग और लंच मीट (Lunch meats) में पाए जाते हैं। फल और सब्जियां  लिस्टेरिया बैक्टीरिया से दूषित हो सकती हैं, हालांकि यह कम आम है। लिस्टेरिया के संक्रमण से गर्भवती महिलाऐं भी संक्रमित हो सकती हैं जिसकारण उन्हें फ्लू जैसे लक्षण होते हैं जिसमें थकान और मांसपेशियों में दर्द होना आम है। गर्भावस्था के दौरान लिस्टेरिया के अधिक संक्रमण (Infection) से गर्भ में नवजात शिशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। 

d. कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter)

ये बैक्टीरिया आमतौर पर मांस, मुर्गी पालन और बिना पाश्चुरीकृत दूध को संक्रमित करते हैं। कैम्पिलोबैक्टर भी पानी को दूषित कर सकता है। अन्य प्रकार के जीवाणुओं की तरह, यह भी संक्रमित जानवरों के मल के संपर्क में आने से खाद्य पदार्थों में मिल जाते हैं।

e. स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus)

ये बैक्टीरिया मीट, तैयार सलाद और दूषित डेयरी उत्पादों से बने खाद्य पदार्थों में पाए जा सकते हैं। यह बैक्टीरिया हाथ के संपर्क, छींकने या खांसने से भी फैल सकता है। इसका मतलब है कि जो लोग खाना बनाते या पैक करते हैं, वे संक्रमित होने पर संक्रमण फैला सकते हैं।

f. शिगेला (Shigella)

शिगेला बैक्टीरिया समुद्री भोजन या कच्चे फलों और सब्जियों को संक्रमित कर सकता है।

2. परजीवी द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by parasites)

फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning in hindi) का दूसरा प्रमुख कारण परजीवी का होना है। टोक्सोप्लाज्मा परजीवी (Toxoplasmosis Parasite) खाद्य विषाक्तता के मामलों में सबसे अधिक बार देखा गया है। यदि भोज्य पदार्थ इस परजीवी से दूषित हो जाए तो यह पाचन तंत्र (Digestive system) को खराब कर सकता है।कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग और गर्भवती महिलाओं को इसके गंभीर दुष्प्रभाव होने का खतरा ज्यादा रहता है। यह परजीवी आमतौर पर बिल्लियों में मिलता है।  यदि घर में बिल्ली को तो आप सतर्क रहिये और हमेशा खाना बनाते समय और खाते समय हाथ धोएं। 

3. वायरस द्वारा फूड पॉइजनिंग (Food poisoning by virus)

वायरस भी फूड पॉइजनिंग का कारण हो सकता है। नोरोवायरस (Norovirus), जिसे नॉरवॉक वायरस भी कहा जाता है, हर साल 19 मिलियन से अधिक मामलों में फूड पॉइजनिंग का कारण बनता है। हेपेटाइटिस A (Hepatitis A) वायरस एक गंभीर स्थिति है जिसे भोजन के माध्यम से शरीर में आ सकता है।  

भोजन खराब होने के कारण (Causes of food spoilage in Hindi)

भोजन खराब होने का मुख्या कारण बैक्टीरिया माना जाता है।  इसके अलावा भोजन खराब होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं-  
  • भोजन तैयार करने या संभालने वाले लोग बाथरूम का उपयोग करने के बाद अपने हाथ ठीक से ना धोते हों।
  • भोजन तैयार करते समय उपयोग में लाये जाने वाला पानी पशु या मानव मल (Poop) से संक्रमित हो,
  • भोज्य पदार्थ गलत तापमान में बहुत लंबे समय तक रखे गई हों,
  • खाना बनने से पहले हाथ ना धोये गए हों या अशुद्ध बर्तन या कटिंग बोर्ड का इस्तेमाल किया गया हो, 
  • प्रोसेसिंग या शिपिंग के दौरान मांस या समुद्री भोजन कीटाणुओं के संपर्क में आ गए हों,
  • ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाए जो ठीक से बंद या सील ना किये गए हों,
  • कच्चा (या अधपका) मांस और अंडे का सेवन किया जाए,
  • डेयरी उत्पाद और फलों के रस जिन्हें पाश्चुरीकृत (Pasteurized) ना किया गया हो। 
पाश्चुरीकृत (Pasteurized): खाद्य पदार्थों (अमूमन तरल) में मौजूद हानिकारक रोगाणुओं को मारने के लिए खाद्य पदार्थों को एक खास तापमान पर निर्धारित समय के लिए गर्म किया जाता है और तुरंत बाद ठंडा कर लिया जाता है।

फूड पॉइजनिंग के लक्षण और संकेत क्या हैं? (Food Poisoning Symptoms in Hindi)

फूड पॉइजनिंग,आहार विषाक्तता
दूषित भोजन खाने के 1 से 2 घंटों के बाद फूड पाइजनिंग (विषाक्त भोजन) के संकेत व लक्षण सामने नजर आते हैं, कई बार लक्षण दिखने में कुछ दिन भी लग सकते हैं। ज्यादातर फूड पाइजनिंग (Food Poisoning) के मामलों में एक से ज्यादा लक्षण (Symptoms of Food Poisoning in Hindi) देखे जाते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं। 
  • पेट में ऐंठन – Stomach cramps
  • दस्त – Diarrhea
  • उल्टी – Vomiting
  • भूख में कमी – Loss of appetite
  • हल्का बुखार और ठण्ड लगना  – Mild fever and chills
  • सीने में जलन – Heartburn
  • जी मिचलाना – Nausea
  • सिर दर्द – Headache
हालांकि, ज्यादातर लक्षण फूड पॉइजनिंग के कारण पर निर्भर करते हैं कि यह किस बैक्टीरिया या परजीवी से हुआ है। 

खाद्य पदार्थ जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं (Foods That Can Cause Food Poisoning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग का कारण

सभी खाद्य पदार्थ फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं यदि उन्हें ठीक से पकाया या रखा ना जाए। हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिसमें बैक्टीरिया आसानी से विकसित हो जाते हैं ऐसे खाद्य पदार्थों को उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ (High risk foods) की श्रेणी में रखा जाता है। उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थों के उदाहरणों में शामिल हैं:

उच्च जोखिम वाले खाद्य पदार्थ में शामिल हैं –

  • डेयरी उत्पाद (दूध, आइस क्रीम, पनीर और दही)
  • अंडे और अंडे के उत्पाद
  • मांस या मांस उत्पाद
  • मुर्गी पालन
  • मछली और समुद्री भोजन
  • पके हुए चावल और पास्ता
  • तैयार सलाद जैसे कोलेस्लो, पास्ता सलाद और चावल का सलाद
  • कटे हुए फलों का सलाद
  •  सैंडविच, रोल और पिज़्ज़ा
और पढ़ें – जानिए लो कार्ब डाइट (कम कार्बोहाइड्रेट डाइट) के फायदे

 

क्या हैं फूड पाइजनिंग से बचाव के उपाय? (What is the prevention tips of food poisoning in Hindi)

1. फूड पाइजनिंग से बचाव के लिए हाथ धोएं

खाना बनाते समय या रखते समय अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं।  विशेष रूप से जब आप मांस, मछली, अंडे या सब्जियों को बना रहे हों। 

2. वर्कटॉप, चाकू और बर्तन धोएं

खाना बनाने से पहले और बाद में वर्कटॉप्स, चाकू और बर्तन धोएं, खासकर तब जब आप कच्चे मांस (मुर्गी सहित), कच्चे अंडे, मछली और सब्जियों को बना रहे हों। इसके लिए आपको जीवाणुरोधी स्प्रे (Antibacterial spray) का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है बस गर्म साबुन का पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

3. रसोई में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा साफ रखें

यदि आपकी रसोई में कोई ऐसा कपड़ा है जो पोछने के लिए बार बार इस्तेमाल होता है उसे अच्छे से धो के और सूखा कर रहें 

4. कच्चा मांस और पका हुआ भोजन अलग रखें

कच्चे मांस को हमेशा तैयार खाद्य पदार्थ, जैसे सलाद, फल और ब्रेड से दूर रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।ऐसा इसलिए है क्योंकि इन खाद्य पदार्थों को खाने से पहले पकाया नहीं जाएगा और यदि कच्चा मांस दूषित है तो यह अन्य भोज्य पदार्थ को आसानी से संक्रमित कर देंगे। 

5. खाना अच्छी तरह से पकाएं

खाने से पहले सुनिश्चित करें लें कि पोल्ट्री (Poultry), सूअर का मांस, बर्गर, सॉसेज (Sausage) और कबाब अच्छे से गर्म किया गया हो।

6. एक्सपायरी वाला खाना न खाएं

ऐसा खाना न खाएं जिसके उपयोग की तारीख (Expiry date) निकल गई हो, भले ही वह दिखने और गंध ठीक हो। उपयोग की तिथियां वैज्ञानिक परीक्षणों पर आधारित होती हैं जो दिखाती हैं कि डिब्बाबंद भोजन कब तक हानिकारक बैक्टीरिया से बचा रह सकता है। 

फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज क्या है? (Food poisoning home remedies in Hindi)

Food Poisoning Treatment in Hindiविषाक्त भोजन (फूड पॉइजनिंग) का इलाज आमतौर पर घर पर किया जा सकता है, और ज्यादातर मामलों में लोग तीन से पांच दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। यदि आपको फूड पॉइज़निंग है तो निम्न उपाय आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
  • ठीक से हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है। हाइड्रेटेड का मतलब खूब पानी पीने से है। हाइड्रेटेड रहने के लिए आप इलेक्ट्रोलाइट्स (ग्लूकोस और ओआरएस) से भरपूर कोई भी ड्रिंक पी सकते हैं। फलों का रस और नारियल पानी भी हाइड्रेटेड रहने में मदद करते हैं। 
  • कैमोमाइल, पुदीना या रोज़हिप टी जैसी हर्बल चाय, फूड पॉइजनिंग के समय कुछ हद तक पेट को सहारा दे सकती हैं। 
  • हालांकि, फूड पॉइजनिंग के समय कैफीन से बचें (कॉफी और चाय), जो पाचन तंत्र को और भी अधिक परेशान कर सकता है। 
  • फूड पॉइजनिंग में काफी कमजोरी आ जाती है इसलिए फूड पॉइजनिंग के दौरान भरपूर आराम करें।  
  • फूड पॉइजनिंग के इलाज में सिरके का इस्तेमाल करना काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
  • केला फूड प्वाइजनिंग में फायदेमंद है।
  • सेब का सेवन फूड प्वाइजनिंग में असरदार होता है। सेब के सिरके में मेटाबालिज्म रेट को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। खाली पेट इसका सेवन करने पर यह पेट में मौजूद खराब बैक्टीरिया को मारने में मदद कर सकता है।
  • नींबू का सेवन फूड पॉइजनिंग में काफी असरदार होता है ऐसा इसलिए क्योंकि नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं। नींबू को आप निचोड़ कर गुनगुने पानी में डालकर पी सकते हैं।   
  • अगर फूड पॉइजनिंग में आपकी स्थिति में सुधर नहीं हो रहा हो तो डॉक्टर के अनुसार दवाइयां शुरू करें। एंटीबैक्टीरियल जैसी दवाएं दस्त को नियंत्रित करने और मतली को दबाने में मदद कर सकती हैं। हालांकि, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

फूड पाइजनिंग के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? (What to eat and avoid after Food Poisoning in Hindi)

1. फ़ूड पोइज़निंग में क्या खाएं? (Foods to eat in food poisoning in Hindi)

फूड पाइजनिंग के बाद अगर उल्टी और दस्त रूक जाए तो आप उन खाद्य पदार्थों को शुरू कर सकते हैं जो हल्के और कम वसा वाले हों, जैसे:
  • जिलेटिन
  • केले
  • चावल
  • दाल का पानी 
  • ओट का दलिया
  • नरम आलू
  • उबली हुई सब्जियां
  • टोस्ट
  • पतला फलों का रस
  • इलेक्ट्रोलाइट पेय
  • दही या छाछ 
  • फल और सब्जियों के जूस
  • रिफाइंड आटे से बनाई गई रोटी 
  • कम कार्बोहाइड्रेट्स और फैट वाला मीट, अंडे, फिश या चिकन (अच्छे से पके हुए)

2. फूड पाइजनिंग में क्या नहीं खाए? (Foods to avoid in food poisoning in Hindi)

फूड पॉइजनिंग के समय पेट को और अधिक खराब होने से बचाने के लिए आप निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें –
  • डेयरी उत्पाद, विशेष रूप से दूध, आइसक्रीम और चीज
  • वसायुक्त खाना (तला हुआ चिकन और  फ्रेंच फ्राइज़)
  • अत्यधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ
  • उच्च चीनी सामग्री वाला भोजन
  • चटपटा खाना (मसालेदार भोजन)
  • तले हुए खाद्य पदार्थ
  • ड्राई फ्रूट्स
  • कैफीन (सोडा, ऊर्जा पेय, कॉफी)
  • शराब
  • निकोटीन

फूड पॉइजनिंग के उच्च जोखिम वाले समूह (High-risk groups for food poisoning in Hindi)

कुछ लोग दूसरों की तुलना में फूड पॉइजनिंग के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। इन लोगों को भोजन खरीदते, संग्रहीत करते और बनाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इन कमजोर समूहों में शामिल हैं:

1. प्रेग्नेंट महिलाऐं (Pregnant women)

गर्भावस्था के दौरान, चयापचय (Metabolism) और परिसंचरण (Circulation) में परिवर्तन से खाद्य विषाक्तता का खतरा बढ़ता है। जो आपके शिशु पर भी नकरात्मक प्रभाव डाल सकता है। 

और पढ़ें – प्रेगनेंसी के बाद डिप्रेशन : जानिए लक्षण, कारण, इलाज और बचाव 

2. 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्क (Older adults)

जैसे-जैसे आपकी आयु बढ़ती है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) संक्रमित करने वाले जीवों के प्रति उतनी प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया न करे। 

3. पांच साल से कम उम्र के बच्चे (Infants and young children)

छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है। इसलिए छोटे बच्चों के माँ बाप को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।  

4. पुरानी बीमारी वाले लोग (People with chronic disease)

जैसे कि मधुमेह (Diabete), यकृत रोग (Liver disease), एड्स या कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कमजोर होती है। जिसकारण ऐसे लोग जल्दी संक्रमित हो सकते हैं। 

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए? (When to see a doctor)

यदि आहार विषाक्तता (Food poisoning in Hindi) के लक्षण असमान्य हो जाएं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। फूड पाइजनिंग के असमान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं –
  • दस्त (Diarrhea) तीन दिनों से अधिक समय तक बने रहना – Diarrhea persisting for more than three days
  • 101.5°F से अधिक बुखार होना – Fever over 101.5°F
  • देखने या बोलने में कठिनाई होना, – Difficulty with speech
  • गंभीर निर्जलीकरण के लक्षण, जिसमें शुष्क मुँह, पेशाब कम आना या पेशाब न आना – Severe dehydration
  • कुछ भी खाते ही उल्टी होना – Vomiting after eating
  • यूरिन में खून आना – Blood in urine
  • मांसपेशियों में कमजोरी – Muscle weakness
  • धुंधली नज़र – Blurry vision
  • भ्रम की स्थिति – Confusion,
  • गर्भवती महिलाओं में दस्त या फ्लू जैसी बीमारी – Diarrhea or flu-like illness
  • पीलिया (पीली त्वचा), जो हेपेटाइटिस ए का संकेत हो सकता है – Jaundice (yellow skin)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Food Poisoning FAQs in Hindi)

सवाल: भोजन में नष्ट होने के क्या कारण हैं?

जवाब: फूड पॉइजनिंग का कारण रोगाणुओं द्वारा भोज्य पदार्थों को दूषित करना है। जिसमें  बैक्टीरिया, परजीवी और वायरस शामिल हैं।  

सवाल : क्या फूड पाइजनिंग में बुखार आ सकता है?

जवाब: जी हां, फूड पाइजनिंग में बुखार आ सकता है। 

सवाल : प्रदूषित भोजन से कौन सी बीमारी होती है

जवाब: पेट में ऐंठन, दस्त, उल्टी, भूख में कमी, हल्का बुखार, जी मिचलाना, सिर दर्द आदि जैसे रोग हो सकते हैं। 

सवाल : क्या विषाक्त भोजन के कारण सिरदर्द हो सकता है?

जवाब: जी हां, विषाक्त भोजन के कारण सिरदर्द हो सकता है। इसके अलावा पेट खराब, पेट दर्द और उलटी भी हो सकती है।    

सवाल : फूड पॉइजनिंग और पेट फ्लू में क्या अंतर है ?

जवाब: फूड पॉइजनिंग के लक्षण जल्द (2 घंटे के अंदर) नज़र आ जाते हैं जबकि पेट वायरस के लक्षणों को पनपने में थोड़ा समय लग सकता है।  इसलिए यदि किसी व्यक्ति को काफी लंबे समय तक पेट दर्द हो रहा हो और किसी भी दवाई से ठीक नहीं हो रहा हो, तो समझ जाइये कि यह पेट फ्लू है।

सवाल : फूड पाइजनिंग के लिए अच्छी दवा क्या है?

जवाब: फूड पाइजनिंग को रोकने के लिए सबसे अच्छी दवा एंटी -डायरिया और एंटी बैक्टीरियल है। हालांकि, इन दवाओं का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

सवाल : फूड पॉइजनिंग कितने समय तक रहता है?

जवाब: अधिकांश लोग 12 से 48 घंटों के भीतर सबसे सामान्य प्रकार के भोजन विषाक्तता से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। कुछ प्रकार की भोजन विषाक्तता गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती है।

सवाल : फूड पॉइजनिंग से तुरंत राहत कैसे पाएं?

जवाब: जितना हो सके आराम करें। जब आपका मन करे तब खाएं – शुरुआत में छोटे, हल्के और कम फैटी भोजन ही लें (जैसे- टोस्ट, चावल और केले जैसे नरम खाद्य पदार्थ अच्छे विकल्प हैं)। हालांकि, शराब, कैफीन, फ़िज़ी पेय और मसालेदार और वसायुक्त भोजन से बचें।

सवाल : क्या फूड पॉइजनिंग में चाय अच्छी है?

जवाब: पुदीने की चाय भी खराब पेट को शांत करने में मदद कर सकती है। कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पियें। कैफीन युक्त पेय से बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये पेट में जलन पैदा कर सकते हैं।


ये हैं फूड पॉइजनिंग के लक्षण, कारण, बचाव और इलाज की पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं आपको Food Poisoning Symptoms in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें। 

Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें।

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सन्दर्भ (References)

  • Hirneisen, K.A., and Kniel, K.E. “Norovirus attachment: Implications for food safety.” Food Prot Trends 33.5 (2013): 290-299.
  • United States. Centers for Disease Control and Prevention. Epidemiologic Notes and Reports Listeriosis Outbreak Associated with Mexican-Style Cheese – California. May 2, 2001.
  • United States. Centers for Disease Control and Prevention. Multistate Outbreak of Listeriosis Associated with Jensen Farms Cantaloupe – United States, August–September 2011.
  • U.S. Food & Drug Administration. “Foodborne Illnesses: What You Need to Know.” Aug. 7, 2018. https://www.fda.gov/food/resourcesforyou/consumers/ucm103263.htm>.

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