Heart Disease Types | जानिए हृदय रोग के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्र्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार आज पूरी दुनिया में मौत का प्रमुख कारण हृदय रोग (Heart disease in Hindi) है। एक अनुमानित के मुताबित, 2019 में हृदय रोग से लगभग 1.96 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई, जो सभी वैश्विक मौतों का 32% है। इनमें से 85% मौतें केवल हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण हुईं हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, हृदय रोग (दिल की बीमारी) सभी लिंगों (genders) के साथ-साथ सभी नस्लीय (racial) और जातीय समूहों (ethnic groups) को प्रभावित कर सकता है। सौभाग्यवश, आज के समय में हृदय रोग के कई उपचार उपलब्ध हैं और अधिकांश लोगों को बचाया भी जा सकता है। 

इस लेख के माध्यम से हम आपको हृदय रोग (Heart disease) क्या है, हृदय रोग के लक्षण, हृदय रोग के प्रकार और कारणों सहित, हृदय रोग के जोखिम कारकों और बचाव के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

चलिए अब इस पोस्ट को शुरू करते हैं। 

हृदय रोग क्या है? | What is Heart disease in Hindi

हृदय रोग (heart disease) एक ऐसा स्थति है जो हृदय की संरचना (structure) या कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। ज्यादातर लोग हृदय रोग को एक ही रोग मानते हैं। लेकिन वास्तव में, हृदय रोग कई रोगों का एक समूह (प्रकार) है।

दिल की बीमारी का सबसे आम रूप कोरोनरी धमनी रोग (Coronary artery disease) है, जो कोरोनरी धमनियों की दीवारों में वसा (plaque) के निर्माण के कारण होता है। 

दिल की धमनियों में वासा का निर्माण होने से रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है और अंततः हृदय की विफलता (cardiac failure) को जन्म दे सकता है। 

इसके आलावा दिल की कुछ अन्य बीमारियां भी हैं जो दिल की विफलता का कारण बन सकती हैं। इन सभी बीमारियां के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं। 

दिल की बीमारी कितने प्रकार की होती है | Types of heart disease in Hindi

हृदय रोग कई प्रकार के होते हैं जो समय के साथ विकसित होते हैं और हमारे स्वस्थ को प्रभावित करते हैं। हालांकि, कुछ हृदय रोग ऐसे भी हैं जो गर्भावस्थ के समय भ्रूण में विकसित हो जाते हैं। ऐसे हृदय रोग कंजेनाइटल (जन्मजात) हृदय रोग कहलाते हैं।

हृदय रोग में शामिल हैं- 

  • कोरोनरी हृदय रोग (या इस्केमिक हृदय रोग) ,
  • जन्मजात हृदय रोग,
  • एरिथमिया हृदय रोग,
  • रूमेटिक हृदय रोग,
  • हृदय संक्रमण,
  • कार्डियक अस्थमा।
 


Coronary heart disease (Coronary artery disease) in Hindi

1. कोरोनरी हृदय रोग (या इस्केमिक हृदय रोग) – Coronary heart disease in Hindi

हृदय की कोरोनरी धमनियों का आंशिक या पूर्ण रूप से बंद होना, कोरोनरी धमनी रोग (या कोरोनरी हृदय रोग) कहलाता है।

कोरोनरी हृदय रोग का मुख्य कारण कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (कोलेस्ट्रॉल) कणों (Low-density lipoprotein particles) का कोरोनरी धमनियों की दीवारों पर जमा होना है। इसके अलावा कोरोनरी धमनियों की दीवारों में कैल्शियम कणों (Calcium particles) का जमा होना भी कोरोनरी हृदय रोग का कारण बन सकता है। 

इन कणों के जमा होने से हृदय की धमनियां संकरी हो जाती हैं (या सिकुड़ जाती हैं) और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देती हैं। रक्त प्रवाह के अवरुद्ध होने से हृदय को उचित मात्रा में रक्त नहीं मिल पता है और अन्तः दिल के दौरे (heart attack) या दिल की विफलता (heart failure) का कारण बनता है। इसके अलावा मधुमेह, उम्र, असंतुलित आहार आदि कारक भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ा सकते हैं।  

2. जन्मजात हृदय रोग – Congenital heart disease in Hindi

Congenital heart disease in Hindi

कंजेनाइटल हृदय रोग (Heart disease problem in Hindi) एक जन्मजात हृदय रोग है जिसका पता शिशु के जन्म के समय चलता है। हालांकि, कभी-कभी जन्मजात हृदय रोग के लक्षण शिशु में तब तक दिखाई नहीं देते जब तक वह वयस्क नहीं हो जाते हैं। 

कंजेनाइटल हृदय रोग (heart disease in Hindi) दिल की दीवारों, हृदय वाल्व या रक्त वाहिकाओं में से किसी को भी प्रभावित कर सकता है जिसकारण हृदय से रक्त के प्रवाह में बदलाव आ जाता है और विभिन्न प्रकार की समस्याओं का कारण बनता है। हालांकि, कुछ जन्मजात हृदय दोष ऐसे भी हैं जो शरीर को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करते हैं। 

दुर्भाग्यवश, अभी तक इस रोग के कारणों का पका पता नहीं चला है फिर भी जानकारों का मानना है कि निम्नलिखित परिस्थिति  कंजेनाइटल हृदय रोग का कारण बन सकती हैं जिनमें –

  • हृदय दोष का पारिवारिक इतिहास,
  • गर्भावस्था के दौरान गलत दवाइयों का सेवन, 
  • गर्भावस्था के दौरान शराब या ड्रग्स का उपयोग,
  • गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान वायरल संक्रमण,
  • गर्भावस्था के दौरान रक्त शर्करा के स्तर में वृद्धि। 

3. एरिथमिया रोग – Arrhythmia heart disease in Hindi

Arrhythmia heart disease in Hindiएरिथमिया एक ऐसी स्थति है जब दिल की धड़कन अनियमित (Heart disease in Hindi) हो जाती हैं। 

दिल की धड़कन का 100 प्रति मिनट से अधिक होना टेकी एरिथमिया (Tachyarrhythmia) कहलाता है जबकि 60 प्रति मिनट से नीचे होना ब्रेडी एरिथमिया (bradyarrhythmia) कहलाता है।

सामान्य स्थिति में दिल की घड़कने कि दर 60 से 100 बीट प्रति मिनट तक होती है ।

एरिथमिया निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकता है। जिसमें –

  • दिल की किसी बीमारी का होना, 
  • रक्त में इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम या पोटेशियम) का गलत संतुलन,
  • दिल की कोई अंदरूनी चोट,
  • कम रक्त प्रवाह या हृदय ऊतकों का कठोर होना, 
  • हृदय शल्य चिकित्सा के बाद उपचार प्रक्रिया,
  • कुछ दवाएं,
  • तनाव की स्थति,
  • दैनिक जीवन की चीजें जैसे शराब, तंबाकू या कैफीन। 

4. रूमेटिक हृदय रोग – Rheumatic heart disease in Hindi

हृदय रोग के लक्षण
रूमेटिक बुखार अक्सर 5 से 15 वर्ष के बच्चों को प्रभावित करता है, हालांकि यह वयस्कों में भी विकसित हो सकता है।
रूमेटिक (आमवाती) हृदय रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें रूमेटिक बुखार से हृदय क्षतिग्रस्त हो जाता है। रयूमैटिक बुखार गले में स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया (Group A streptococcus) के संक्रमण के कारण आता है। यदि इसका जल्द इलाज ना कराया जाए तो यह बैक्टीरिया रक्त के माध्यम से हृदय तक पहुंच जाते हैं और हृदय के वाल्व को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। 

5. हृदय संक्रमण – Heart infections in Hindi

Heart infections in Hindiहृदय संक्रमण (Heart disease in Hindi) एक गंभीर संक्रमण है जो दिल को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकता है और  हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है। हमारा हृदय एंडोकार्डियम, मायोकार्डियम और पेरिकार्डियम जैसी तीन परतों से बना होता है जिनमें से कोई भी परत बैक्टीरिया, वायरस या कभी-कभी कवक द्वारा संक्रमित हो सकती हैं। 

हृदय संक्रमण निम्नलिखित तीन प्रकार के हो सकते हैं जिनमें मुख्यतः एंडोकार्डिटिस, मायोकार्डिटिस और पेरिकार्डिटिस शामिल हैं। 

a. एंडोकार्डिटिस (Endocarditis in Hindi) 

एंडोकार्डिटिस, दिल की सबसे अंदरूनी परत और वाल्व (heart valve) की सूजन है, जिसे एंडोकार्डियम (endocardium) कहा जाता है। यह आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होता है जिसमें स्टेफिलोकोकस (स्टैफ) और स्ट्रेप्टोकोकस (स्ट्रेप) बैक्टीरिया प्रमुख हैं। एंडोकार्डिटिस हृदय संक्रमण का सबसे आम प्रकार है।

इस रोग में शरीर के किसी अन्य भाग (जैसे कि आपका मुंह) से बैक्टीरिया रक्तप्रवाह के माध्यम से हृदय में पहुंच जाते हैं और हृदय को संक्रमित कर देते हैं। यदि इसका जल्द इलाज ना किया जाए, तो एंडोकार्टिटिस आपके हृदय के वाल्वों को नुकसान पहुंचा सकता है या उन्हें पूरी तरह नष्ट कर सकता है।

b. मायोकार्डिटिस (Myocarditis in Hindi)

मायोकार्डिटिस, हृदय के बीच मौजूद मांसपेशी (मायोकार्डियम) की सूजन है। यह सूजन दिल की पंप करने की क्षमता को कम कर सकती है और असामान्य हृदय ताल (अतालता) का कारण बन सकती है। वायरस संक्रमण (Virus infection) आमतौर पर मायोकार्डिटिस का कारण बनता है।  इन वायरस में शामिल हैं – COVID-19, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस  सी और पार्वोवायरस

c. पेरिकार्डिटिस (Pericarditis in Hindi)

पेरिकार्डिटिस हृदय की सबसे बाहरी परत या झिल्ली (पेरिकार्डियम) की सूजन है जिसका प्रमुख कारण वायरल संक्रमण है। पेरिकार्डिटिस के अन्य कारणों में एचआईवी/एड्स, टीबी, गुर्दे की विफलता, चिकित्सा उपचार (जैसे कुछ दवाएं या छाती में विकिरण चिकित्सा), या हृदय की सर्जरी शामिल हो सकते हैं ।

6. कार्डियक अस्थमा – Cardiac asthma in Hindi

कार्डियक अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की बाईं ओर से रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। रक्त पंप करने की क्षमता का कम होना दिल की विफलता का कारण है। 

अन्य स्थितियां जो दिल की विफलता के विकास का कारण (Cardiac asthma causes in Hindi) हो सकती हैं उनमें शामिल हैं:

  • दिल के दौरे का इतिहास, 
  • असामान्य हृदय गति, 
  • अनियंत्रित उच्च रक्तचाप,
  • हृदय के वाल्व में विकार,
  • दिल की कमजोरी (Cardiomyopathy),
  • हाइपर थायराइड, 
  • हृदय की मांसपेशियों की सूजन (Myocarditis),
  • जन्मजात (Congenital) हृदय दोष,
  • रक्त (खून) की कमी,
  • मधुमेह (Diabetes),
  • फेफड़ों की गंभीर बीमारी,
  • मोटापा,
  • किडनी की खराबी। 

कार्डियक अस्थमा रोग (Heart disease in Hindi) में रोगी के फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा होने लगता है जिससे रोगी को सांस लेने में तकलीफ और धबराहट होती है। कार्डिएक अस्थमा के कई लक्षण काफी हद तक दमा (ब्रोन्कियल अस्थमा) के लक्षण के समान हो सकते हैं जिसकारण कभी-कभी इस रोग को दमा (अस्थमा) की बीमारी से जोड़ दिया जाता है। कार्डियक अस्थमा का गलत इलाज रोगी के जीवन को खतरे में डाल सकता है। इसलिए इस रोग का सही तरीके से इलाज करना बेहद जरुरी है। 

हृदय रोग के लक्षण | Symptoms of heart disease in Hindi

Heart Disease Symptoms In Hindi

1. कोरोनरी हृदय रोग के लक्षण – Coronary heart disease symptoms in Hindi

कोरोनरी हृदय रोग (कोरोनरी धमनी रोग) के सबसे आम लक्षण सीने में दर्द (एनजाइना) और सांस फूलना है। कोरोनरी हृदय रोग के अन्य लक्षणों में शामिल हैं –

पुरुषों में हृदय रोग के लक्षण – Heart Disease Symptoms in male in Hindi

  • चक्कर और पसीना आना, 
  • सिर भारी होना, 
  • मतली या अपच होना, 
  • गर्दन में दर्द   
  • काम के समय सांस की तकलीफ,
  • निद्रा संबंधी परेशानियां

महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण – Heart Disease Symptoms in female in Hindi

महिलाऐं उपरोक्त सभी लक्षण अनुभव कर सकती हैं, इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी हैं जो महिलाऐं अनुभव कर सकती हैं। महिलाओं में हृदय रोग के लक्षणों में शामिल हैं –

  • जी मिचलाना,
  • उल्टी,
  • पीठ दर्द,
  • जबड़े का दर्द,
  • सीने में दर्द महसूस किए बिना सांस की तकलीफ  आदि।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं को सीने में दर्द का कम अनुभव हो सकता है। ध्यान रहे यदि सीने में दर्द या बेचैनी आराम करने के बाद भी दूर नहीं हो रही हो, तो यह दिल के दौरे का संकेत हो सकता है। 

2. कंजेनाइटल (जन्मजात) हृदय रोग के लक्षण – Congenital heart disease symptoms in Hindi

जन्म के समय हृदय की संरचना में हुआ बदलाव कंजेनाइटल हृदय रोग कहलाता है। जन्मजात हृदय रोग के लक्षणों में शामिल हैं:

  • त्वचा या होठों पर नीला रंग (ऑक्सीजन की कमी के कारण होंठ, त्वचा या नाखूनों पर नीला रंग)
  • बैठे समय भी सांस में तेजी ,
  • असामान्य हृदय ताल,
  • पैरों, पेट और आंखों के आसपास सूजन,
  • भोजन के दौरान शिशुओं में सांस की तकलीफ, 
  • अत्यधिक थकान,
  • व्यायाम के दौरान बेहोशी,
  • हाथ, टखनों या पैरों में सूजन। 

3. एरिथमिया हृदय रोग के लक्षण – Arrhythmia heart disease symptoms in Hindi

एरिथमिया दिल की असामान्य हृदय ताल है। एरिथमिया हृदय रोग के लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान या कमजोरी,
  • सांस की तकलीफ और घबराहट,
  • चक्कर आना, 
  • दिल की धड़कन का तेज होना (टेकी एरिथमिया),
  • दिल की धड़कन का धीमी होना (ब्रेडी एरिथमिया),
  • बेहोशी, 
  • छाती (सीने) में दर्द या दबाव,
  • रोग के चरम स्थति में अचानक कार्डियक अरेस्ट होना। 

4. रूमेटिक (आमवाती) हृदय रोग के लक्षण – Rheumatic heart disease symptoms in Hindi

रूमेटिक हृदय रोग रूमेटिक बुखार (आमवात ज्वर) के कारण हृदय और उसके वाल्वों को होने वाली क्षति है। रूमेटिक हृदय रोग का प्रमुख कारण स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया है।  

रूमेटिक हृदय रोग के लक्षण (Heart failure symptoms in Hindi), जो आमवाती हृदय रोग का कारण बन सकते हैं, उनमें शामिल हैं:

  • हृदय की मांसपेशियों और ऊतकों की सूजन, जिससे हृदय गति तेज हो जाती है, थकान होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है,
  • बुखार,
  • जोड़ों में दर्द,
  • छाती में दर्द,
  • अत्यधिक थकान,
  • घबराहट,
  • बैठे समय भी सांस में तेजी,
  • सूजी हुई टखनों, कलाई या पेट,
  • छाती, पीठ और पेट पर दर्द रहित दाने। 

5. हृदय संक्रमण के लक्षण – Symptoms of heart infections in Hindi

बैक्टीरिया, वायरस और कवक हृदय संक्रमण के प्रमुख कारण हैं। हृदय संक्रमण के लक्षणों (Heart problem symptoms in Hindi) में शामिल हैं:

  • सीने में दर्द, विशेष रूप से सांस लेने के साथ,
  • खांसी,
  • थकान,
  • बुखार, ठंड लगना और पसीना,
  • अस्वस्थ होने की सामान्य भावना,
  • मांसपेशी में दर्द,
  • बैठे समय भी सांस में तेजी,
  • पेट या निचले छोरों में सूजन,
  • भ्रम की स्थिति,
  • अचानक दृष्टि में परिवर्तन,
  • शरीर या चेहरे के एक तरफ अचानक कमजोरी, सुन्नता या लकवा

6. कार्डियक अस्थमा के लक्षण – Cardiac asthma heart disease symptoms in Hindi

कार्डिएक अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। जिसकारण फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा होने लगता है जिससे रोगी को सांस लेने में तकलीफ और धबराहट होती है। कार्डिएक अस्थमा के अधिकांश लक्षण अस्थमा (दमा) के लक्षण से मिलते हैं। कार्डियक अस्थमा के मुख्य लक्षणों (Cardiac asthma ke lakshan) में शामिल हैं:

  • फेफड़ों से घरघराहट (wheezing sound) की आवाज आना,
  • साँस में कमी महसूस होना, 
  • खाँसी होना, 
  • थूक के साथ खून आना, 
  • झागदार थूक निकलना,
  • लेटते समय सांस लेने में तकलीफ होना, 
  • सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज (whistling sound) आना, 
  • रात में लक्षण और भी बदतर होना।

हृदय रोग के जोखिम कारक | Risk factors for heart disease in Hindi

Risk factors for heart disease in Hindi

जोखिम कारक यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि आपको हृदय रोग होने की संभावना है या नहीं। जोखिम कारकों को मुख्यतः दो श्रेणियां में बाटा गया है –

एक जिन्हें बदला नहीं जा सकता (गैर-परिवर्तनीय) और दूसरा वे जिन्हें बदला (परिवर्तनीय) जा सकता है।

 हृदय रोग  के जोखिम कारक

जिन्हें बदला नहीं जा सकता

जिन्हें बदला जा सकता

उम्र,

वजन,

पुरुष लिंग,

धूम्रपान,

हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास,

मधुमेह,                                                    

आनुवंशिक कारक।

रक्तचाप,
 

कोलेस्ट्रॉल का स्तर,

 

तनाव,

 

असंतुलित आहार,

 

शारीरिक गतिविधि का स्तर।

1. गैर-परिवर्तनीय (Non-modifiable)

जोखिम कारकों में आपकी उम्र, पुरुष लिंग, हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिक कारक शामिल हैं। ये सब ऐसी स्थितियां हैं जिन्हें आप बदल नहीं सकते हैं। 

2. परिवर्तनीय (Modifiable)

ये ज्यादातर जीवनशैली में बदलाव हैं जैसे यदि आप अधिक वजन वाले हैं तो वजन कम करना, धूम्रपान करने पर धूम्रपान बंद करना, अपने मधुमेह, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना आदि।

इसके आलावा हृदय रोग के अन्य जोखिम कारक में शामिल हैं-

  • अत्यधिक शराब पीना,
  • शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहना, 
  • अस्वास्थ्यकर आहार लेना, 
  • उच्च सी-रिएक्टिव प्रोटीन
  • अनियंत्रित तनाव, अवसाद और क्रोध

3. टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज की शोध के अनुमान है, टाइप 2 मधुमेह वाले ऐसे लोग जो अपनी मध्यम आयु तक पहुँच चुके हैं, उन्हें हृदय रोग होने या स्ट्रोक आने की संभावना, स्वस्थ (जिन्हें मधुमेह नहीं है।) लोगों की तुलना में दोगुनी होती है। 

4. अवसाद (Depression)

कुछ शोधों से पता चला है कि सामान्य लोगों की तुलना में अवसाद (Depression) से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग होने की दर अधिक होती है। अवसाद शरीर में कई प्रकार के बदलाव ला सकता है जिससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप या दिल का दौरा पड़ने का खतरा बहुत अधिक रहता है। इसके अलावा, अवसाद सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) के स्तर को भी बढ़ा सकता है। शरीर में सीआरपी का बढ़ा होना सूजन को दर्शाता है जो हृदय रोग का कारण हो सकता है।  

5. उच्च रक्तचाप और हृदय रोग के बीच सम्बन्ध (High blood pressure)

उच्च रक्तचाप हृदय के कार्यभार को बढ़ा देता है, जिससे हृदय की मांसपेशियां मोटी और सख्त हो जाती हैं। हृदय की मांसपेशियों का सख्त होना हृदय के असामान्य रूप से कार्य करने का कारण बनता है जिससे स्ट्रोक, दिल का दौरा, गुर्दे की विफलता और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का जोखिम बढ़ जाता है।

6. अस्वास्थ्यकर जीवनशैली (Unhealthy lifestyle choices)

कुछ अस्वास्थ्यकर जीवनशैली जो हृदय रोग के बढ़ावे में योगदान कर सकते हैं उनमें शामिल हैं:

  • शारीरिक गतिविधि और शारीरिक व्यायाम ना करना,
  • बहुत अधिक मात्रा में संतृप्त वसा (saturated fat), ट्रांस वसा, नमक ( सोडियम) और चीनी युक्त भोजन का सेवन,
  • धूम्रपान, 
  • अत्यधिक शराब पीना,
  • उच्च तनाव वाले वातावरण में रहना (जैसे स्टॉक मार्किट)

मरीज को इस बात का हमेशा ध्यान रखना है कि उसमें जितने अधिक जोखिम कारक होंगे, हृदय रोग होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

हृदय रोग की रोकथाम | Prevention tips of heart disease in Hindi

Prevention tips of heart disease in Hindi

निम्नलिखित आदतों में सुधर करके हृदय रोग की रोकथाम की जा सकती है। इन आदतों में शामिल हैं –

हृदय रोग के प्रकार बचाव के तरीके 

  • सुबह या शाम कम से कम 30 मिनट नियमित रूप से व्यायाम करें,
  • ऐसी कार्यों से बचें जो तनाव उत्पन्न कर सकते हों जैसे स्टॉक मार्किट में ट्रेडिंग करना,
  • हृदय रोग के बचाव में स्वस्थ वजन बनाए रखना जरुरी है इसलिए ऐसे आहार ना खाएं जो अस्वस्थ करें जैसे अस्वास्थ्यकर वसा (पेस्ट्री, कुकीज़, डोनट्स, मफिन, केक, पिज्जा, तले हुए खाद्य पदार्थ आदि)
  • सामान्य रक्तचाप बनाए रखें,
  • तंबाकू का सेवन करते हैं तो इसे पूरी तरह छोड़ दें, 
  • अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल करें जैसे उच्च फाइबर युक्त आहार, सब्जियां, फल, बीन्स,मांस, मछली, कम वसा वाले या वसा रहित डेयरी खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज, जैतून का तेल आदि। 
  • यदि आपको मधुमेह या कोलेस्ट्रॉल रोग है तो इसके स्तर को नियंत्रित रखें।   

ये हैं हृदय रोग के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय के बारे में बताई गई पूरी जानकारी। कमेंट में बताएं Heart Disease in Hindi पोस्ट कैसी लगी। अगर यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे जरूर शेयर करें। 

Disclaimer : ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है। इस जानकारी का उपयोग किसी भी बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा किसी भी चीज को अपनी डाइट में शामिल करने या हटाने से पहले किसी योग्य डॉक्टर या आहार विशेषज्ञ (Dietitian) की सलाह जरूर लें। 

सन्दर्भ (References)

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